Monday, October 21, 2013

हम तेरी औलाद

 हम तेरी औलाद

करते हैं फरियाद

सब परिवार के साथ हैं
हम क्यों अनाथ हैं ?

कभी कुदरत ने
तो कभी इन्सान ने
हर ओर तबाही मचाई है
कहीं पर भूकम्प आया
तो कहीं पर
नदियों में बाढ़ आई है
किसी ने साम्प्रदायिक
उन्माद बढ़ाया
तो किसी ने
बारूदी आतंक फैलाया

धरती फटी, घर टूटे
अपनों से अपने छूटे
बचा न कोई साथ
हम हो गये अनाथ
हम भी पढ़ना चाहते हैं
डॉक्टर, वकील या
इंजीनियर बनना चाहते हैं
रोटी, कपड़े और छत की
हमारी भी है इच्छा
फिर क्यों लेते हो
हमारी कठिन परीक्षा

किसके आगे फैलायें हाथ
किसे झुकायें माथ
कौन है जो रखेगा
सिर पर हाथ
माँ की ममता
बाबा का दुलार
भाई-बहन का प्यार
पाने को हम हैं बेकरार

भेड़ों की तरह
है हाल हमारा
सब करते हैं किनारा
नहीं देता कोई सहारा
मैले और फटे कपड़ों से
ढँकते हैं तन
सहते हैं
गरमी और ठिठुरन
हम नहीं रह पाते
कभी सुकून से
क्यों आज महँगा है
पानी भी खून से

सहकर सूरज की धूप
और पेट की भूख
शरीर गया है सूख
मत करो
दिल पर आघात
हम नहीं फौलाद
हम तेरी औलाद
करते हैं फरियाद

3 comments:

कविता रावत said...

मर्मस्पर्शी ...
कई सवाल लेकिन जवाब वहीं का वहीँ ...

Daisy said...

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Kajal Tiwari said...

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