Thursday, September 20, 2007

जो पाए वो रोए जो खोए वो रोए

कान्हा की याद में राधा भी रोए मीरा भी रोए,
सपने दोनो ने एक्सूंग संजोए
राधा ने पाए मीयर्रा ने खोए
जो पाए वो रोए जो खोए वो रोए

दोनो ने प्रीत की झोली फैलाई
कोई ने पाया साथ कान्हा का
भक्ति में कोई रात भर रोए
राधा भी रोए मीरा भी रोए.
जो पाए वो रोए जो खोए वो रोए

मीरा बन बन भटके मिलन को
राधा किश्ना सुंग झूले
दर्शन पनेको कान्हा के
राधा भी रोए मीरा भी रोए.
जो पाए वो रोए जो खोए वो रोए
चाँद तारों में लपाट कर
बहारों में महक भर कर
मुहबत ने आज दिलबर
कैसा संदेशा भेजा है
पढ़ के चूम लेती हून
चूम के पढ़ लेती हून

राहों में पलकें बिछाकर
उमीदों के चिराज़ जलाकर
दिल में सनम के हलचल मचाकर
आँखों में कैसा ख्वाब भेजा है
देख के जाग जाती हून
जाग के देख लेती हून

आवाज़ की मीठी सरगम सजाकर
बोलों की मीठी धून बना कर
तन पैर मेरे जानम लिख कर
गीतों का कैसा पैगाम भेजा है
सुन के डूब जाती हून
डूब के सुनती जाती हून

महन्दी हाटों पैर लगवाकर
लाल जोड़ा पहन्वकर
हाट में चूडी, माथे बींद्या
आज एह कैसा शीनगर बैज़ा है
शर्मा के आईना देख लेती हून
आईना देख के शरमाती हून

आज क्या बात है किस के पास जाती हून
आज क्या बात है किसी को पास पाती हून