आज एह कैसी रुत बदली
आज एह कैसी रुत बदली कैसी
घनघोर घटता चाह्यी
काले बादलों को साथ लेकर
आंधी मेरी ओर कैसी आई
लूट लिए अरमान सब मेरे
चीन लिया सकूँ दिलका
दे दी दोज़ख़ की ज़िंदगी
बनकर कैसी एह बहार आई.
लहरों की मौज़ों पैर
किसने एह पटवार चलाई
मीता के लकीरैईन तक़दीर की
मुजे कैसे एह रूलाने आई
सपनो का खंडहार बन गया
आँखों में लहू भर दिया
दिलकी ढकन तोड़ कर सनम
साँसे मेरी जान पैर बन आई
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