Monday, September 15, 2008

कैसा संदेशा भेजा है

चाँद तारों में लपेट कर
बहारों में महक भर कर
मुहाबत ने आज दिलबर
कैसा संदेशा भेजा है
पढ़ के चूम लेती हूँ
चूम के पढ़ लेती हूँ

राहों में पलकें बिछाकर
उमीदों के चिराग जलाकर
दिल में सनम के हलचल मचाकर
आँखों में कैसा ख्वाब भेजा है
देख के जाग जाती हूँ
जाग के देख लेती हूँ

आवाज़ की मीठी सरगम सजाकर
बोलों की मीठी धुन बना कर
टन पर मेरे जानम
लिखकर गीतों का कैसा पैगाम भेजा है
सून के डूब जाती हूँ
डूब के सुनती जाती हूँ

मेहन्दी हाथों पर लगवाकर
लाल जोड़ा पहनावाकर
हाथ में चूड़ी, माथे बिंदिया
आज यह कैसा शिणगार भेजा है
शर्मा के आईना देख लेती हूँ
आईना देख के शरमाती हूँ

आज क्या बात है किस के पास जाती हूँ
आज क्या बात है किसी को पास पाती हूँ

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