Friday, March 21, 2008

गंगा तो बहती जाएगी


गंगा तो बहती जाएगी
खुद में सब को समाएगी
करते हैं पाप जो दिन रात
उनके लिए भी मुक्ति लाएगी
गंगा तो बहती जाएगी
लूटते किस तरहा ज़िंदगियाँ
बैठ के गंगा किनारे फिर
जप्पते हैं राम नाम यह
करते हैं बलात्कार फिर
इक दिन ज़िंद तडपाएगी
गंगा तो बहती जाएगी.
चोरी डकैती इनके शौक़ हैं
हथियार से होली खेलते हैं
आतंक फैला रखा है यहाण
देश को भी बैच देते हैं
इक दिन उफान ये लाएगी
गंगा तो बहती जाएगी
गंगा सब कुछ जानती है
पापी के लिए भी रो लेती है
दिल उसका बहुत महान है
सब के पाप धो देती हैं
वो दिल शिव-शिव कहलाएगी
गंगा तो बहती जाएगी
पाप या हो आस्तियाँ किसीकि
हर चीज़ बहा ले जाती है
गंगा जल पावन है इतना
जिसे च्छुए उसे भा जाती है
हर दिल मैण जगह बनाएगी
गंगा तो बहती जाती है
शिव केशसे उतार मा गंगा
भाव सागर में मिलजाति है

1 comment:

सुजाता said...

http://sandoftheeye.blogspot.com/2008/04/quid-pro-quo.html