Saturday, May 03, 2008

वक़्त जाने कहाँ ले आया

यह ख़ालीपन क्यूँ है
कौन मुझ से मेरे अहसास
चीन ले गया
किसी ने रोना माँगा तो
किसी को दर्द नेया भाया
हर कोई मूज़े सीखाने आया
दर्द से निजात दिलाने आया
खुशियाँ से दामन
भरने चला आया---------

पर किसी ने यह ना देखा
यह बदलाव कहाँ ले आया.
आँसू भी सूख गये
आँखें भी पथारा गयीं
मुस्कुराहट ने भी मूह
मोड़ लिया.
मेरा साया भी मूज़े
दूर छो.र आया

साँसे चलती है
पर सरगम कहीं छूट गयी
प्यार से खिला दिल,
इस कदर तड़प गया
दर्द में जीता था,
नही जानती ज़िंदा
हून या मुर्दा
या एक खाली लाश. शायद
या एक खुली लाश
वक़्त जाने कहाँ
आज ले आया है

1 comment:

समयचक्र said...

वाह वाह क्या बात है बढ़िया