Monday, October 21, 2013

आज रब ने मेरी, दुआ क़ुबूल की है

आज मुद्दत के बाद, सुकूं मिलेगा मुझे
आज रब ने मेरी, दुआ क़ुबूल की है

मिली है जन्नत तेरी आगोश में अब
मौत भी आये तो क़ुबूल है मुझको

बाँधी है डोर अब न कभी टूट पायेगी
तोड़ कर हर जंजीर इस ज़माने की

मिलाया है कुदरत ने हमको इस तरह
बंद हो मोती सीप के दिल में जैसे

तेरे ही दर से जनाजा मेरा उठे अब तो
माँग में मेरी सिन्दूर है नाम का तेरे

अब कुछ भी न चाहिए रब से मुझको
रब ने आज साजन की आगोश दी है
- नीरा