Tuesday, August 20, 2013

कोई भाई, बहन से न बिछड़े

कोई भाई, बहन से न बिछड़े

बचपन में एक नन्हा सा हाथ
बाँधा उस पर प्यार से धागा.
बढ़ते बढ़ते उम्र बढ़ी

छोटी कलाई मजबूत हाथ बनी
हर वादा पूरा किया
कभी गैरों से तो कभी अपनों से
भाई ने बहन की रक्षा की

 
एक अटूट प्यार के बंधन
में बाँधती चली गयी
कई सावन बीत गये
भैया की यह प्यारी बहना
पिया के घर परदेश गयी
उनके रंग में रंग गयी
पर जो पीछे छोड़ आई यादें
कभी न वो भूल सकी

 
रोते भाई की कलाई,
नन्ही सी मुस्कान
यही तो उसकी यादें थीं
दूर कहीं छुप कर
सब की नज़रों से बच कर
भाई की याद में आँसू बहाती है,
बचपन की यादों में घिर जाती

 
दिल बार बार बस यही कहता है
कोई भाई, बहन से न बिछड़े

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