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खंज़र की धार आज हुँने देख ली
मुहाबत की सब रंगत देख ली.
दिल तोड़ने के सब हरकत देख ली.
चीन ली दिलसे दड़कन कुछ इस तरह
दर्द में जलने की आग देख ली
अस्ख़ छलकेन्गे तुम्हारी याद में
जज़्बात मचलेंगे तड़पकर
टूटकर चाहत के अंदाज़ सनम
आज कैसे मरेंगे रह देख ली
प्यार में कभी पलट कर बुलाते
हर घाम यूँही अपने सीने में
सबकी नज़रों से चुप्पा लाते.
आज लूट जाने की नज़ाकत देख ली
दुखाया है इस कदर मन को
सज़ा दें भी जानम मगर
जानते हैं लहू मेरा ही बहेगा
खंज़र की धार आज हुँने देख ल
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