Monday, September 15, 2008

मुझे जानम दो माँ

कब से याकुल बैठा हून आस लगाए
कोई तो आए मूज़े प्यार से गले लगाए

तेरा बीज हून, जानम लेना चाहता हून
माँ की बाहें मूज़े भी झूला झूलाए

तुम जिस खूबसूरत दुनिया में रहती हो
मैं वो दुनिया देखना चाहता हून

आजकल क्या हुआ है क्यूँ बचों से सब रूठे हैं
विज्ञान की तरक़ी से बचे भी अब चुनते हैं

बेटी अघर हो कोख में, सौदा कर लेते हैं
देकर मौत मासूम को कैसे चैन से रहते हैं

ओर अगर हुआ कोई नुक्स मुज में तो
क्या मेरा भी गला घोंट दोगि माँ

क्या मैं तरसता रह जायूंगा जानम लेने को
ममता भरे आँचल को माँ के दूड पीने को

माँ मूज़े खुद से जुड़ा ना करो
तेरा अंश बनके आना चाहता हून

बहुत बार मरा हून जानम से पहले ही
माँ मैं तुज़े माँ बुलाना चाहता हून

माँ अपने आँचल में छुपाले मुझको
तेरे सीने लगकर मैं हसना मुस्कुराना चाहता हून

आब ना सोचो,मूज़े जानम दे दो माँ
आब तो मूज़े जानम दे दो माँ

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