Tuesday, November 25, 2008

यह आख़री सलाम मेरा तेरे नाम है

कर ले क़ुबूल इस को यह मेरा सलाम है
यह आख़री सलाम मेरा तेरे नाम है

रुख्ह्सत के वक़्त पलकें भीगने की रस्म क्यूँ
बाबुल के घर को छोर ना बेटी का काम है

यदोण के साये रौशनी होने ना देंगे अब
यह ज़िंदगी हमारी अंधेरों के शाम है

वो नज़्म हो कह मेरी गाज़ल सब तेरे लिए
जब से कितब.ए दिल पे लिखा तेरा नाम है

यह मेरा काम था कह बनाया है आशियाना
अब बिजलियाँ गिराना फलक तेरा काम है

क्या अब बही उसकी याद के बाक़ी हैं कुछ निशान ?
यह फिर ज़ुबान पे तेरे जोनीराका नाम है

5 comments:

Udan Tashtari said...

बढिया है.

डॉ .अनुराग said...

यह मेरा काम था कह बनाया है आशियाना
अब बिजलियाँ गिराना फलक तेरा काम है
bahut khoob....

"Nira" said...

sameer ji
aap yahan aaye muje acha laga
bahut bahut shukriya

"Nira" said...

anurag ji

aapko yeh sher pasand aaya ,
bahut bahut shukriya

Sapana said...

Niraji,
bahot hi badhiya>
sapana