ज़ीवन किस मोड़ पर ले जा रहा है नहीं जानती
एक सपना आंखों में भर कर चल पड़ी हूं
मन्ज़िल कहां है क्या है ठिकाना? नहीं जानती.
चाहत की सीड़ी पर पांव तो रख दिये हैं
सुनहरे रंग कि चुनर ओड़ ली है सनम
किस्मत मुझे कहं कहां ले जायेगी? नहीं जानती.
सावन के झूले सजा लिये हैं पेड़ों पर
बारिष की बूंदे तन को भिगो रही हैं
तमन्नायें पूरी भी होंगी? नहीं जानती.
पलकों में तुमको बसा लिया है जानम
प्यार में खुद को डुबो दिया है सनम
ज़िन्दगी की ये शाम क्या हसीन होगी? नहीं जानती
छोटा सा घरोंदा बना लिया है तेरे संग
ख़्वाबों की नाव उतार दी है समुन्दर में
सहिल पा भी जाऊंगि कभी? नहीं जानती
आंखें बहुत छोटी हैं सपने बहुत बड़े
सोचती हूं आंखों में इनको भरे भरे .
ये सच है क्या सोचती हूं नहीं जानती
कौन बड़ा है नीरा का नीर या सपनो की तहरीर
कौन ज़्यादा है कौन कम नहीं जानती
तुम्हारी कसम मैं नहीं जानती
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8 comments:
bahut khub sundar bhav
सुन्दर रचना है।बधाई।
चाहत की सीड़ी पर पांव तो रख दिये हैं
सुनहरे रंग कि चुनर ओड़ ली है सनम
किस्मत मुझे कहं कहां ले जायेगी? नहीं जानती.
सावन के झूले सजा लिये हैं पेड़ों पर
बारिष की बूंदे तन को भिगो रही हैं
तमन्नायें पूरी भी होंगी? नहीं जानती.
कल्पनाएँ सुन्दर हैं, तारीफ कैसे करूँ नहीं जानती ः)
कौन बड़ा है नीरा का नीर या सपनो की तहरीर
कौन ज़्यादा है कौन कम नहीं जानती
सच कहा है भला कौन जान सकता है....बहुत भाव पूर्ण रचना....
नीरज
mehak ji
aapko pasand aaye bhav
shukriya
paramjit ji
bahut bahut shukriya
चाहत की सीड़ी पर पांव तो रख दिये हैं
सुनहरे रंग कि चुनर ओड़ ली है सनम
किस्मत मुझे कहं कहां ले जायेगी? नहीं जानती.
सावन के झूले सजा लिये हैं पेड़ों पर
बारिष की बूंदे तन को भिगो रही हैं
तमन्नायें पूरी भी होंगी? नहीं जानती.
कल्पनाएँ सुन्दर हैं, तारीफ कैसे करूँ नहीं जानती ः)
shobha ji
aapko yahan dekh kar bahut acha laga,
yunhi saath deti rahiyega, muje acha lagega
shukriya
कौन बड़ा है नीरा का नीर या सपनो की तहरीर
कौन ज़्यादा है कौन कम नहीं जानती
सच कहा है भला कौन जान सकता है....बहुत भाव पूर्ण रचना....
नीरज
neeraj ji
aapka bahut bahut shukriya
aapko kavita ke bhav pasand aaye.
nira
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