Wednesday, November 12, 2008

काँटे तो चुभते रहते हैं.

फूलों के साथ काँटे होते हैं
फूलों में खुश्बू होती है
काँटे तो चुभते रहते हैं.

फूलों की किस्मत होती है
कुछ तो मंदिर चढ़ते हैं
कुछ अर्थी पर रोते हैं

बनते हैं कभी दुल्हन की सेज
तो कभी तवायफ़ के हाथों में
बनके गजरा महकते हैं

कभी घर को सुंदर बनाते हैं
दिलों में खुश्बू फैलाते हैं
तो कभी पैरों की रौंदन होते है

15 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर है.

mehek said...

bahut khub

"अर्श" said...

वह क्या बात कही आपने बहोत खूब ,

रंजना said...

sundar.......

Girish Kumar Billore said...

fir bhee vo baat
chaah nahee sur baalaa
wale pushp hee sarvochch hote hai

"Nira" said...

Sameer ji
bahut bahut shukriya

"Nira" said...

mehak ji
aapko pasand aayi
dilse abhari hoon. dhanyawaad

"Nira" said...

arsh ji
aapko pasand aaye jazbaat
bahur bahut shukriya

"Nira" said...

ranjana ji
aapka bahut bahut shukriya

"Nira" said...

girish ji
fir bhee vo baat
chaah nahee sur baalaa
wale pushp hee sarvochch hote hai

aapne sahi farmaya hai, aapka bahut bahut shukriya

Suneel R. Karmele said...

सुन्‍दर कवि‍ता, बधाई

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

आपकी किवता में िजंदगी के यथाथॆ को प्रभावशाली ढंग से अिभव्यक्त िकया गया है । अच्छा िलखा है आपने ।

http://www.ashokvichar.blogspot.com

"Nira" said...

suneel ji

aapka bahut bahut shukriya

"Nira" said...

Ashok ji

आपकी किवता में िजंदगी के यथाथॆ को प्रभावशाली ढंग से अिभव्यक्त िकया गया है । अच्छा िलखा है आपने

aapko yatarth se judne kaa ehsaas huya mera likhna safal hua. aapki shukrguzaar hoon.

प्रदीप मानोरिया said...

बहुत खूब आपने अपने विचारों को सुंदर तरीके से व्यक्त किया है आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है