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यह सितम भूलने में वक़्त तो लगेगा
हाल-ए दिल बताने में वक़्त तो लगेगा
दास्तान सुनने में वक़्त तो लगेगा
दिल मिले हैं फिर भी मैं तुझ से दूर रहती हून
यार आने जाने में वक़्त तो लगेगा
घुल्शन.ए मोहब्बत को खून-ए दिल से सींचा है
गुल शजार पे आने में वक़्त तो लगेगा
हम से तुम ने रिश्तों की डोर बाँध रखखी थी
हुमको भूल जाने में वक़्त तो लगेगा
दरमियाँ हमारे हैं बेशुमार दीवारें
अब इन्हें गिराने में वक़्त तो लगेगा
तिनका तिनका लाना है चुनके सारे गुलशन से
आशियाँ बनाने में वक़्त तो लगेगा
हम पे इस ज़माने ने ज़ुल्म ही किए “नीरा”
यह सितम भूलने में वक़्त तो लगेगा
8 comments:
दरमियाँ हमारे हैं बेशुमार दीवारें
अब इन्हें गिराने में वक़्त तो लगेगा
तिनका तिनका लाना है चुनके सारे गुलशन से
आशियाँ बनाने में वक़्त तो लगेगा
waah waah bahut khubsurat di ki baat,sundar
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है।बहुत बढिया रचना है।बधाई स्वीकारें।
bahot hi sundar aur saral magar bahot hi badhiya bhav bhav mila aapko padhke ... aap ise anyatha na le magar kahin kahin shabdo me truti hai ...use sudhar le ...
aapko dhero badhai swikaren...
regards
bahut achchi rachana
Dr Ashok ji
aapka bahut bahut shukriya
bahot hi sundar aur saral magar bahot hi badhiya bhav bhav mila aapko padhke ... aap ise anyatha na le magar kahin kahin shabdo me truti hai ...use sudhar le ...
aapko dhero badhai swikaren...
regards
Arsh ji
aapka bahut bahut shukriya yahan apna kimtee waqt diya aapne aapke sujhav ko zaroor dhayan mein rakh kar thik karne ki koshish karoongi. aapko bhav pasand aaya, bahut bahut shukriya.
regards
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है।बहुत बढिया रचना है।बधाई स्वीकारें।
paramjeet ji
hausla afzayi ka bahut bahut shukriya
yunhi saath dete rahiyega.
regards
दरमियाँ हमारे हैं बेशुमार दीवारें
अब इन्हें गिराने में वक़्त तो लगेगा
तिनका तिनका लाना है चुनके सारे गुलशन से
आशियाँ बनाने में वक़्त तो लगेगा
waah waah bahut khubsurat di ki baat,sundar
mehak ji
aapko yahan dekhkar acha laga
aapki hausla afzayi ka bahut bahut shukriya
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