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गुमनाम दिल अलविदा सुना देगा
क्या करूँ दिल से राहतों की बातें
दर्द से भरा दिल सकूँ क्या देगा
जब भी देगा इक जुनून नया देगा
ख़ाता दिल की है जो कर बैठा गुस्ताख़ी,
हम तो नज़र झुकाए बैठे थे
जाने कब दिल की धड़कन बढ़ा देगा
दिल में बसने वाले धड़कन पहचान लेते हैं
बिन कहे दिल की बात जान लेते हैं
यह तजरुबा कुछ हौसला बढ़ा देगा
ज़िंदगी की राह में ना जाने कब
वो हमसफर बन जाते हैं
दिल के दरवाजे जब कोई खटखटा देगा
ऐसे ही कुछ हालात हुमारे हैं
अल्फ़ाज़ दिल में ही अटक जाते हैं
जब दिल कोई मासूमियत जगा देगा
रुसवाई से डरते हैं, यूँही ही
आँखों में आँसू सुख जाते हैं
गुमनान दिल अलविदा सुना देगा
हम दूउर रहकर भी साथ निभा जाते
इस दुनिया नही तो उस दुनिया में
दिल तुमसे मिलने का नया वादा देगा
6 comments:
ख़ाता दिल की है जो कर बैठा गुस्ताख़ी,
हम तो नज़र झुकाए बैठे थे
जाने कब दिल की धड़कन बढ़ा देगा
bahot khub likha hai aapne NIRA ji.. dhero badhai aapko
regards
arsh
बहुत अच्छा प्रयास है...लिखती रहिये....
नीरज
अच्छा गीत है लिखते रहिए!साहित्य जमकर पढिए।
arsh ji
aapko ehsaas pasand aaye dilse aabhari hoon
yunhi saadete haiyega.
nira
nieeraj ji
aapko kalaam pasand aaye
bahur bahut shukriya.
nira
ashok madhup ji
aapko geet pasamd aaya
bahut bahut shukriya
hanji zaroor padhoongi.sahitye bhi.
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